कई अवार्ड से हो चुकी है सम्मानित
बलराम सोनी के साथ जिला संवाददाता अमित कुमार यादव की रिपोर्ट
उरई,जालौन। साधारण परिवार मेें जन्मी डॉ0 ममता स्वर्णकार ने यह साबित कर दिखाया है। कि उड़ने के लिए पंख नहीं हौसला होना चाहिए। समाज सेवा का उनमें ऐसा जज्बा जागा कि जरूरतमंद की मदद के लिए अब तक 51 बार रक्तदान कर चुकी हैं। साथ ही महिलाओं को समाजसेवा के कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने के लिए प्रेरित भी करती हैं। लक्ष्मण दास बाबानी के पिता लोकतंत्र सेनानी रहे स्व महादेव बाबानी की स्मृति में 51 वीं बार रक्तदान किया है कथानुसार ममता उनकी मां शकुंतला स्वर्णकार सिलाई का काम और पिता मिश्रीलाल स्वर्णकार एक दुकान पर काम करते हैं। इस गाढ़ी कमाई से चार बहनों व तीन भाइयों की पढ़ाई लिखाई का खर्चा चलाते थे। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है। कि वह किन परिस्थितियों में पली बढ़ी, पर इन संघर्षों ने ही उन्हें साहसी बनाया जब वह दसवीं कक्षा में थी। तो उस समय मां के सिलाई के काम में हाथ बटाने के अलावा छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई का खर्चा खुद निकालने लगी। छोटे भाई बहनों को भी पढ़ाने लगी। इससे माता-पिता का कुछ बोझ हल्का हुआ। इसके बाद बीए पास करने के बाद प्राइवेट नौकरी करने लगी अपनी पढ़ाई को अनवरत रखी। ममता बताती हैं कि इसके बाद वर्ष 2004 में प्राइमरी स्कूल में सहायक अध्यापक के पद पर चयन हो गया। सरकारी नौकरी मिलते ही घर में खुशी छा गई। प्रतिज्ञा की कि इस नौकरी के रुपयों से अपने भाई-बहन को पढ़ाने के साथ किराए पर रह रहे माता-पिता के लिए एक घर बनवाएंगी। सामाजिक कार्यों में अपना अहम योगदान देंगे। बस फिर क्या था, 51 बार रक्तदान किया, इसके बाद एक अक्तूबर 2014 को देहदान करने का संकल्प किया। इस कार्य से जिले की सबसे कम उम्र में महिला बाडी डोनट बनी। इसके अलावा बचपन से ही खेलकूद में रुचि होने से कई बार 200, 400, 800 मीटर रेस में चैंपियनशिप हासिल की। कबड्डी व बालीवाल राज्य स्तर तक खेली। इससे जिला गाइड कैप्टन जालौन, जिला ट्रेनिंग कमिश्नर गाइड, जिला व्यायाम शिक्षिका जालौन व राज्य स्तर जिला संदर्भ दाता बनाया गया। इसके अलावा उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा, महिला शिक्षा व सुरक्षा सम्मान से सीएम अखिलेश यादव ने भी सम्मानित किया।कही पुरस्कार उनको मिले रहे है. दुर्गा भाभी सम्मान लखनऊ में कृषि मंत्री द्वारा सम्मानित किया गया था। दधिची सम्मान राज्यस्थान में सम्मानित किया जा चुका है। शासन के द्वारा गुड सेमेरिटंस (नेक इंसान) का प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया जा चुका है।